■बाल मुक्तक : •डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
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●सोच रही है
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
बन जाती है अन्जानी
कुछ करके मिश्का रानी
सोच रही है अब आगे
करना है क्या शैतानी
●
मम्मी बाहर आएगी
जमकर डाँट लगाएगी
वापस जाते ही फिर से
मिश्का धूम मचाएगी
●
पापा लगते अच्छे हैं
हँस देते हैं सच्चे हैं
खेल रहे हों मिश्का से
बन जाते वो बच्चे हैं
●
मिश्का धुन में गाती है
गुड़िया को नहलाती है
फेंका करती है पहले
फिर सामान सजाती है
●कवि संपर्क-
●79748 50694
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