गणतंत्र दिवस
4 years ago
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●उठो जवानों-बढ़ो जवानों
-डॉ. सुभद्रा खुराना
उठो जवानों, बढ़ो जवानों
यह जलनिधि, यह तुंग हिमालय,
भारत-भाग्य-भुवन-देवालय,
तुम्हें बुलाता,
उठो जवानों,
बढ़ो जवानों ।
तुम हिन्दी हो, हिन्द तुम्हारा,
क्या मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा ?
हारा विश्व सर्वहारा-
आवाज लगाता,
उठो जवानों,
बढ़ो जवानों ।
पंजाबी, पूरब के वासी,
उत्कल, बंगाली, मदरासी,
एक राग अनगिन भाषाओं-
का लहराता,
उठो जवानों,
बढ़ो जवानों ।
खून पसीने की धरती है,
मरने जीने की धरती है,
एक नहीं सौ – सौ जन्मों का-
इससे नाता,
उठो जवानों,
बढ़ो जवानों ।
डगर – डगर पुष्पित हरियाली,
नगर – नगर वैभव खुशहाली,
चांदी चांद लुटाता, सोना-
सूरज लाता,
उठो जवानों,
बढ़ो जवानों ।
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chhattisgarhaaspaas
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